Honesty is the best policy meaning in Hindi, ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है कहानी (Honesty is the best policy story in Hindi)
Honesty is the best policy meaning in Hindi
Honesty is the best policy meaning in Hindi: ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।
“Honesty is the Best Policy” translated into Hindi “ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है” (Imandari sarvashreshth neeti hai).
- Honesty = ईमानदारी
- is = है
- the =
- Best = सर्वश्रेष्ठ
- Policy = नीति
ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है कहानी (Honesty is the best policy story in Hindi)
ईमानदारी सबसे अच्छी नीति हैं Honesty Is The Best Policy In Hindi इससे जुड़ी एक कहानी यहाँ पर शेयर किया गया है। ईमानदारी से भरी यह एक बहुत ही प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story) है। जिसे सुनने के बाद आप भी ईमानदार बनने को मजबूर हो जाएंगे।
बहुत समय पहले की बात है तब एक शहर था जिसका नाम प्रतापगढ़ था। प्रतापगढ़ के राजा को कोई भी संतान नहीं थी। तो राजा ने एक दिन फैसला किया कि वह अपने राज्य के किसी एक बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी चुनेगा। एक दिन वह अपने नगर के सभी बच्चों को बुलाया। राजा ने घोषणा की वह वहाँ मौजूद सभी बच्चों में किसी एक बच्चों को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा।
और इसके बाद एक दिन राजा ने सभी बच्चों के बीच एक छोटी सी थैली बटवा दी और बोला प्यारे बच्चों आप सभी को जो थैली दी गई है उसमें अलग-अलग पौधों की बीज है। हर बच्चे को सिर्फ एक ही बीज दिया गया है। आपको इसे घर ले जाकर एक गमले में लगाना है। 6 महीने बाद हम फिर यहां इकट्ठा होंगे। और उस समय मैं फैसला करूँगा की मेरे बाद प्रतापगढ़ का राजा कौन बनेगा।
दोस्तों उन्हीं लड़कों में एक ध्रुव नाम का लड़का था बाकी बच्चों की तरह वह भी बीज लेकर खुशी-खुशी घर चला गया। अपनी माँ की मदद से एक गमला चुना और उसमें वह बीज की देखभाल करने लगा। दिन-हफ्ते बीतते गए लेकिन ध्रुव के गमले में किसी भी पौधे का कोई नामोनिशान नहीं था।
वहीं कुछ बच्चों के गमलों में से छोटे-छोटे पौधे दिखने लगे। ध्रुव ने सोचा कि शायद उसका बीज कुछ अलग प्रकार का हो और कुछ दिनों के बाद उसमें से कोई पौधा निकलेगा। और वह ऐसा सोचकर वह पुरी लगन से उस गमले की देखभाल करने लगा।
परन्तु 3 महीने बीत जाने के बाद भी उसका गमला खाली ही था। वही दूसरी ओर बाकी बच्चों के गमलों में अच्छे खासे पौधे उग गये और कुछ में तो फल-फूल भी लग गए थे। ध्रुव का खाली गमला देखकर बाकी बच्चे उसका मजाक उड़ाया करते थे। यहाँ तक की कुछ बुजुर्ग भी ध्रुव को बेकार में मेहनत करने से मना करते।
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लेकिन इसके बावजूद भी ध्रुव ने हार नहीं मानी और अपने गमले की देखभाल करता रहा। और देखते-देखते 6 महीने बीत गए। और राजा के सामने अपना गमला ले जाने का समय आ गया।
ध्रुव चिंतित था क्योंकि अभी भी उसके गमले में कोई पौधा नहीं उगा था। वह सोचने लगा अगर मैं ऐसे ही राजा के सामने चला गया तो सब लोग मुझ पर कितना हंसेंगे। और कहीं राजा भी मुझसे नाराज हो गए, और नाराजगी में कहीं सजा दे दी तो।
किसी को यकीन नहीं होगा कि मैं बीज में रोज पानी डालता था। ध्रुव की माँ उसकी परेशानी समझ रही थी। उसने ध्रुव से कहा की नतीजा जो भी हो तुम्हें राजा का दिया हुआ बीज वापस जरूर लौटाना चाहिए।
और दोस्तों वो दिन आ गया जब राजमहल के मैदान में सभी लोग इकट्ठे हो गए। वहाँ एक से एक बढ़कर पौधों का अम्बार लगा था। रंग बिरंगे फूलों से महल सुगंधित हो गया था।
ध्रुव का खाली गमला देखकर बाकी के सभी बच्चे उसका मजाक उड़ा रहे थे। तभी वहाँ पर राजा के आने की घोषणा हुई।
सभी बच्चे शांति से वहाँ खड़े हो गए। सब के मन में यही सवाल था की राजा कौन बनेगा। और तभी राजा बच्चों के बीच से आगे बढ़ने लगे। वह जहाँ से भी गुजरते, बच्चे तन कर खड़े हो जाते। और अपने आप को योग्य अधिकारी साबित करने की कोशिश करते।
तमाम खूबसूरत पौधों को देखने के बाद, राजा की नजर ध्रुव पर पड़ी।
क्या हुआ तुम्हारा गमला खाली क्यों है? राजा ने पूछा
जी मैं इसमें रोज पानी डालता था और धूप भी दिखाता था। 6 महीने तक इसकी पूरी देखभाल की पर फिर भी इसमें से कोई पौधा नहीं निकाला। ध्रुव घबराते हुए बोला।
राजा बाकी गमलों को देखने के लिए आगे बढ़ गया। और सभी गमले को देखने के बाद बच्चों को संबोधित किया आप लोगों ने खुद को साबित करने के लिए कड़ी-कड़ी मेहनत की। ज्यादातर लोग किसी भी कीमत पर राजा बनना चाहते हैं।
एक लड़का है जो यहाँ पर खाली हाथ ही चला आया है।
ध्रुव तुम यहाँ मेरे पास आओ! सब के सामने बुलाने पर ध्रुव को कुछ अजीव लगा। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। जैसे ही राजा ने उसका गमला सभी बच्चों को दिखाया तो सब हँसने लगे।
शांत हो जाइए! 6 महीने पहले मैंने सभी को बीज दिए थे। और अपने-अपने पौधों के साथ आने को कहा था। मैंने जो आप को बीज दिए थे।
असल में वो बंजर थे। आप चाहे जितनी भी कोशिश करते कुछ नहीं निकलता। लेकिन अफसोस है कि आप सब में एक ध्रुव ही है जो खाली हाथ यहाँ उपस्थित हुआ है।
आप सब को ध्रुव से सीखना चाहिए। पहले तो उसने बाकी लोगों की तरह बीज में से कुछ न निकलने पर दूसरा बीज नहीं लगाया। और उसके बाद खाली गमले के साथ यहाँ आने का साहस दिखाया। ये जानते हुए की लोग उस पर कितना हंसेंगे। उसे कितना अपमानित होना पड़ेगा। फिर भी वह यहाँ उपस्थित हुआ।
आज मैं आप सभी के बीच यह घोषणा करता हूँ की प्रतापगढ़ का अगला राजा ध्रुव ही होगा। और यही उसकी ईमानदारी का फल है।
दोस्तों ध्रुव अपनी ईमानदारी की वजह से प्रतापगढ़ का अगला राजा बन गया। इसी लिए कहा गया है “Honesty is the Best Policy”
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