Jo boyega wahi katega story in hindi: जो बोयेगा वही काटेगा मजेदार स्टोरी इन हिंदी में एक बूढ़े शेर और भेड़िया की मजेदार कहानी शेयर की गई है। जो काफी रोमांचक है इसे एक बार जरूर पढ़े!
जो बोयेगा वही काटेगा (Jo boyega wahi katega story in Hindi)
बहुत समय पहले की बात है, एक बड़ा घना जंगल था। उसके अन्दर एक बहुत बूढ़ा शेर रहा करता था। एक दिन शिकार करते समय शेर का पांव चट्टान से फिसल गया और वही नीचे आकर गिरा। गिरने के कारण उसके पांव में बहुत चोट आई। चोट तो उसकी जल्दी ही ठीक हो गई, मगर वह लंगड़ाकर चलने लगा था।
अब उस बेचारे का भागना-दौड़ना तो दूर, चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था। इस वजह से अब वह शिकार भी नहीं कर सकता था। एक ही जगह पड़ा रहता था। इसलिए अब वह भूखे मरने लगा था। भूखे रहने की वजह से अब शेर काफी दुबला-पतला हो गया था। उसमें ज्यादा जान नहीं बची थी।
शेर को इस तरह दुःखी देखकर एक चालाक भेड़िया उसके पास आया और कहने लगा- ‘महाराज! आप इस जंगल के राजा हैं, आपको ऐसी हालत में देखकर मुझे बड़ा दुख हो रहा है मुझसे आपकी ऐसी दयनीय हालत बिल्कुल देखी नहीं जाती। इस तरह तो आप भूखे मर जायेंगे।
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इतना कहकर भेड़िया कुछ देर खामोश रहा फिर बोला- ‘महाराज, मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं। मुसीबत के समय में अपने राजा की सेवा करना मेरा फर्ज बनता है अगर आप मुझसे एक वादा करें कि आप मुझे कभी नहीं मारेंगे तो मैं हमेशा इसी तरह आपकी सेवा करता रहूंगा।’ वह बूढ़ा शेर उस चालाक भेड़िए की बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था।
भेड़िये ने कहना आरम्भ किया- ‘मैं रोजाना आपके लिए यहीं पर शिकार का प्रबंध कर दिया करूंगा आप शिकार को अपने पास आने पर मारकर खा जाया करना। जब आपका पेट भर जाएगा तो बाकी का बचा हुआ भोजन मैं खा लिया करूंगा। इस तरह आपकी भूख भी मिट जाएगी और मेरी भी।’
भेड़िये की हमदर्दी भरी बातों को सुनकर शेर बड़ा खुश हुआ और उसकी बात मान गया।
बूढ़े शेर ने कहा- ‘तुम मेरे बूढ़े होने पर और मेरी बेचारगी पर ही तरस खा रहे हो और इसलिए मेरी मदद करना चाहते हो, तो फिर मैं तुम्हारे साथ कभी धोखा नहीं करूंगा। मैं हमेशा तुम्हारा एहसानमन्द रहूंगा।’
भेड़िया बोला- ‘तो ठीक है महाराज, फिर बात पक्की हो गई।’ यह कहकर भेड़िया बड़ा खुश हुआ और जंगल के भोले-भाले जानवरों को बहलाकर शेर के पास लाने लगा।
जानवर को देखते ही शेर उस पर टूट पड़ता तथा मारकर उसे खा जाता। और भेड़िया बचा-खुचा मांस खाकर अपना पेट भरता था। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे की मदद कर खुशी से अपना जीवन काटने लगे।
उनकी यह क्रिया बड़े समय तक चलती रही। इसी प्रकार बहुत समय गुजर गया और अब जानवर भेड़िये की चालाकी को अच्छी प्रकार समझ गये थे। वह भेड़िये से अब बहुत ज्यादा नाराज हो गए थे।
एक रोज जंगल के सब जानवरों ने सभा आयोजित की। उसमें यह फैसला किया गया कि जिस प्रकार भेड़िये ने धोखा देकर हम सभी जानवरों को सताया है, उसी तरह हम उसको शेर के हाथों मरवा डालेंगे। ऐसा करने से हमारा इस भेड़िये से भी पीछा छूट जाएगा और शेर भी तड़प-तड़पकर मर जाएगा। इस तरह भेड़िये को भी उसके किए की सजा मिल जाएगी।
सभी जानवरों को यह उपाय बहुत पसंद आया। इस उपाय को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया कि जब भेड़िया शिकार के लिए जायेगा, उसी समय हम लोग शेर के पास पहुंच जायेंगे और उसके सामने अपनी बात रख देंगे।
इस तरह सब जानवर निश्चिन्त हो गए और निर्धारित समय पर शेर के पास पहुंचे। फिर उससे कहा- ‘यह जानकर कि आपके पांव में चोट आ गई है, हम लोगों को बड़ा दुख हुआ। चोट की वजह से आप ठीक से चल-फिर भी नहीं सकते है। इसलिए अब जब तक आपकी तबियत पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती, हम लोग खुद ही आपके लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे। इसके साथ ही हम आपके इस लंगड़े पैर को ठीक करने के लिए भी एक दवा भी बताने आए हैं।’ यह कहकर वह खामोश हो गये।
उन्हें खामोश होता देखकर शेर ने पूछा- ‘जल्दी से बताओ वह दवा क्या है ?’
जानवर कहने लगे- ‘अगर आप भेड़िये का ताजा खून अपने पैर पर मलेंगे तो आपका यह लंगड़ा पैर बहुत जल्दी ठीक हो सकता है। अगर हो सके तो आप पैर का इलाज जरूर करें।’ इतना कहकर वे जानवर चले गए।
कुछ देर पश्चात ही भेड़िया शिकार फंसाकर शेर के पास ले आया। शेर ने शिकार के साथ भेड़िये को देखा तो उन जानवरों की बात याद आ गई। शेर फौरन शिकार को छोड़कर भेड़िये पर टूट पड़ा और उसे जान से मारकर खत्म कर दिया। मरे हुए भेड़िये का खून लेकर उसने अपने पैर पर मालिश की। बाकी का खून पी गया और भेड़िये को भी चट कर गया।
जब दो-तीन दिन बाद भी शेर का लँगडापन दूर न हुआ और कोई जानवर भी उसके पास न आया तो वह उन जानवरों की चाल समझ गया। अब शेर अपने किए पर पछता रहा था कुछ दिन में बूढ़ा शेर भूख से तड़प-तड़पकर मर गया।
इस तरह उन जानवरों ने शेर और भेड़िये को अच्छा सबक सिखाया और अपनी जान बचा ली।
Moral of Story (जो बोयेगा वही काटेगा कहानी की सीख)
जो जैसा कर्म करता है वैसा ही फल पाता है। एक कहावत है कि जो बोयेगा वही काटेगा। इसलिए हमेशा सद मार्ग पर चलना चाहिए।
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