Short Moral Stories in Hindi, मोटिवेशन, नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में पढ़े। यहाँ पर कई सारी Short Story in Hindi में दी गई हैं। जिसे पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ हमें अच्छी बातें भी सीखने को मिलती है।
Hindi short stories with moral for Kids 2023: को पढ़ने से बच्चों का दिमाग बढ़ता है। और भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी कोई बच्चा कहानी पढ़ता या सुनता है तो उस कहानी से वह कई सारी अच्छी जानकारी को जान पाता है। चूकिं कहानी एक बार पढ़ने या सुनने मात्र से बहुत दिनो तक याद रहती है। इसलिए बच्चों को कहानी के माध्यम से पढ़ाना बहुत सरल हो जाता है।
Table of Contents
लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids
एल्डोरा नामक जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।
कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।
इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।
और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।
Moral of the Story
लालच के कारण ही शेर को भूखे पेट ही सोना पड़ा था। नहीं तो उसे कई शिकार मिले थे। अंतः इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।
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लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short
एक समय की बात है वैकुंठ नामक एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। रोजाना वह जंगल में जाता था लकड़ी काटता और शहर में बेचता। जो कुछ पैसे मिलते उससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। इस तरह से उसका जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था।
एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।
थक हार कर वह वही पर बैठ कर रोने लगा। क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी लेने के लिए एक भी पैसे नहीं थे।
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लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।
लकड़हारे ने सुनहरी कुल्हाड़ी को देखते ही बोला की यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह तो किसी धनवान व्यक्ति की कुल्हाड़ी इसे मैं नहीं ले सकता। यह सुनकर नदी के देवता पुनः नदी में डुबकी लगाई और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस कुल्हाड़ी को देखकर फिर से लकड़हारा बोला प्रभु मैं एक गरीब लकड़हारा हूँ। मेरी तो लोहे की कुल्हाड़ी थी। यह भी किसी अमीर व्यक्ति कुल्हाड़ी है।
एक बार फिर से नदी के देवता पानी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी असली कुल्हाड़ी। लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देख कर काफी खुश हो गया। और बोला प्रभु यही है मेरी कुल्हाड़ी। लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी को भी नदी के देवता ने उस ईमानदार लकड़हारे को उपहार में दे दिया। इस तरह से उसकी ईमानदारी के कारण उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी मिल गई।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है। कहानी में लकड़हारे को उसकी ईमानदारी की वजह से उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी प्राप्त हो गई। इसलिए हमें भी ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए।
दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi
एक बार दो मेंढक दोस्त सैर पर जा रहे थे। दोनों आपस में बाते करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें जाकर दोनों मेंढक गिर जाते हैं। चूंकि उस गड्ढे के बारे में एक कहानी फैली हुई की जो भी कोई इस गड्ढे में गिर जाता है तो जिंदा नहीं बचता है। तो इस पर एक मेढक बोला कि यह बहुत बड़ा गड्ढा है इसमें जो भी गिरता है वह जिंदा वापस नहीं निकल पाता है। इसलिए अब हम दोनों का अंत निश्चित है। यह बोल कर वह वही आराम से लेट गया और मरने का इंतजार करने लगा।
लेकिन दूसरा मेढक उसकी बात को ना मानते हुए वहाँ से निकलने के लिए कोशिश करने लगा। काफी देर कोशिश करने के बाद वह उस गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो जाता है। और अपने घर चला जाता है। लेकिन उस मेढक की वही पर मृत्यु हो गई। जिसने कोशिश किए बिना पहले ही हार मान ली थी।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।
नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories
एक जंगल में हाथी, शेर, बाघ, चीता और अन्य सभी जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। वह जंगल पर और सभी जानवरों पर राज करना चाहता था। लेकिन वह बड़े जानवरों से टक्कर नहीं ले सकता था। वह रोजाना प्लान बनाता था और असफल हो जाता था।
एक दिन वह जंगल से निकल कर शहर की ओर चला गया। जैसे ही वह शहर में पहुँचा तो उसके पीछे शहरी कुत्ते पीछे पड़ गए। वह भागते-भागते एक धोबी के घर में घुस गया। धोबी ने कपड़े पर नीला रंग चढ़ाने के लिए टंकी में नीला रंग घोल रखा था। तो उसी बड़े से टंकी में सियार कूद गया और छुप गया। रात भर उसी में छिपा रहा और जब सारे कुत्ते वहाँ से चले गए तो वह चुपके से निकल वापस जंगल आ गया।
सियार को बहुत तेज से प्यास लगी थी तो वह पानी पीने के लिए एक झील में गया। जैसे ही पानी पीने के झुका तो वह डर गया क्योंकि उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। कुछ देर सोचने के बाद याद आया कि वह नीले पानी के टंकी में घुसा था जिसके कारण से उसके शरीर Color नीला पड़ गया है।
अब उसे एक तरकीब सूझी और वह जल्दी से जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा कर के एक ऊंचे से पत्थर पर बैठ गया। और सबसे बोला की मैं परमात्मा का दूत हूँ उन्होंने हमें आप सबकी रक्षा करने के लिए यहाँ भेजा। इसलिए सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ और सभी मेरी बाते मानेंगे और मेरा आदर करेंगे। और जो कोई मेरी बात नहीं मानेगा उसे परमात्मा दण्ड देंगे। इसलिए अब हमारे लिए खाने पीने और ऐसों आराम की व्यवस्था की जाए।
इसकी बात सुनकर सभी डर गए। क्योंकि आज तक किसी ने भी नीले रंग का कोई जानवर नहीं देखा था। इसलिए सभी उसे परमात्मा का दूत मान लेते हैं। यहाँ तक की जंगल के राजा शेर भी उस सियार को अपना राजा मान लेता है। और उसकी हर बात को मानने लगे। उसके लिए खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की जाती है। और इस प्रकार से वह सियार जंगल में शान से ऐस की जिंदगी जीने लगा।
कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरु हो जाता है। और जोर से बारिश होने की बजह से नीले सियार का नीला रंग धुल जाता है। जिससे वह अपने असली रूप में आ जाता है। और सियार की असलियत जानकर शेर ने तुरंत ही उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और छल ज्यादा देर तक नहीं चलता है। भले ही थोड़े समय तक खुशियां मिल जाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही जाती है। और उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है। इस सियार की तरह।
प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi
गर्मी के मौसम में एक कौआ को बहुत तेज की प्यास लगी। लेकिन दूर-दूर तक कहीं भी पानी नहीं दिखा। तो वह उड़ते-उड़ते एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा रखा हुआ था। और वहाँ पर कोई भी आदमी नहीं था। कौआ घड़े के पास गया। उस घड़े में थोड़ा सा पानी था लेकिन वहाँ तक उसकी चोंच ही नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ काफी प्रयास किया लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन उसने हार नहीं मानी।
कौआ चालाक था उसने एक उपाय सोचा वह आस-पास के कंकड़ पत्थर को अपनी चोंच में पकड़ कर लाता और उस मटके में डाल देता। पुनः जाता और फिर से अपनी चोंच में कंकड़-पत्थर भरकर लाता घड़े में डाल देता और ऐसा करते-करते वह घड़ा कंकड़-पत्थर से भर गया और पानी ऊपर आ गया। इस तरह से कौआ पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।
लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short
एक गांव में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह खाने के तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और पूरे गांव में ले जाकर बेच देता। और कुछ महीनों में ही उसका व्यापार काफी बढ़िया चलने लगा। जिससे उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन उसके मन में लालच जाग गया उसने सोचा की अब तो लोग उससे आसानी से तेल ले लेते हैं। क्यों ना उन लोगों से अधिक मुनाफा कमाया जाए। और इस चक्कर में उसने तेल में मिलावट करना शुरु कर दिया।
अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता और पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद गांव के लोग बीमार होने लगें। और देखते ही देखते सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट की गई है। जिसकी वजह से आप सभी बीमार हुए हैं।
गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच नही करना चाहिए। लालच बुरी बला है इसका परिणाम अंतिम में बुरा ही होता है। और हमें इसकी सजा जरूर मिलती है।
मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi
पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।
क्योंकि सभी बोरियां पानी में भीग चुकी थी तो धीरे-धीरे कुछ नमक घुल कर बह गया। और इस वजह से बोरियां हल्की हो गई थी। इससे गधे को हल्का महसूस होने लगा। अगले दिन फिर से व्यापारी ने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर व्यापार करने चल दिया। रास्ते में वही नदी पड़ी, गधे को पिछली बात याद आई उसने सोचा, पानी में बैठने से उसके बोरियों का वजन कम हो जाता है। तो वह पानी में जाते ही फिर से बैठ गया। और फिर से बोरियों का वजन कम हो गया। अब यही प्रक्रिया वह गधा रोज दोहराने लगा जिससे व्यापारी परेशान हो गया।
और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।
अगले दिन व्यापारी गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाकर चल देता है। जैसे ही वह गधा नदी में बैठता है उसकी सारी रुई से भरी बोरियों में पानी भर गया। अब उन बोरियों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया, जिस कारण से अब वह गधा ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। और इसके बाद वह गधा कभी भी उस नदी में नहीं बैठा था।
Moral of the Story
इस कहानी का नैतिक यही है कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता की कोई कुंजी नहीं है। सार्टकट बहुत समय तक नहीं चलता है।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi
एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।
अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।
Moral of the Story
इस कहानी का मोरल यह है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। अत्यधिक लालच हमसे गलत काम करवाती है और इससे हमारा ही नुकसान होता है। आपने देखा कि कैसे इस Story में लालच करने से वह आदमी सोने का अंडा देने वाली सुनहरी मुर्गी अपने ही हाथों से मार दिया। और उसे कुछ भी नहीं मिला।
झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6
बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ो के लेकर जंगल पर चला जाता और शाम होते ही घर वापस आ जाता। इसी प्रकार से वह रोज करता, लेकिन वह बैठे-बैठे भेड़ों को रोज चरता हुआ देख कर ऊब चुका था। एक दिन जब वह भेड़ों को चरता देख रहा था तो उसे कुछ ज्यादा ही बोरियत महसूस होने लगी। वह अपना मनोरंजन करने के लिए वह नई-नई तरकीब सोचने लगा। इतने में उसे एक तरकीब सूझ गई।
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”
उसकी यह बाते सुन कर गाँव वाले लाठी-डंडे लेकर मदद के लिए उसकी और दौड़ते हुए पहुंच गए। परन्तु गांव बालो ने देखा की वहाँ पर कोई भी भेड़िया नहीं है और वह लड़का पेट पकड़ कर जोर-जोर से हंस रहा है। ह, ह, ह, मैं तो मजाक कर रहा था। आप लोग कैसे दौड़ते हुए आएं है। गाँव बाले गुस्से से लाल-पीला हो गए और बोले हम लोग अपना काम छोड़कर तुमको बचाने आए हैं। और तुम मजाक कर रहे हो। गाँव ने कहाँ की अब ऐसा मत करना और वहाँ से चले गए।
एक दिन फिर से चरवाहा लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”
उसकी बात सुन कर फिर गाँव बाले जंगल पहुँच गए लेकिन उन्होंने देखा की फिर लड़का जोर-जोर से हँसे जा रहा है। इस पर गाँव बाले उसे खूब खरी-खोटी सुनाया और कहाँ की तुम झूठ बोलकर हम गाँव बालो को परेशान करते हो अब हम दुबारा तुम्हें बचाने नहीं आएंगे। और सब वहाँ से लौट आए।
अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।
जब शाम हो गई और वह चरवाहा लड़का घर नहीं आया तो गाँव बाले जंगल की तरफ उसे खोजने गए। उन्होंने देखा की वह लड़का एक पेड़ पर बैठ कर रो रहा है। उसको किसी तरह से नीचे उतारकर सब ने पूछा क्या हुआ तो लड़के ने सारी बात बताई। कहा की यहाँ सचमुच का भेड़िया आया था उसने एक-एक करके हमारी सभी भेड़ो को खा गया।
इस पर गाँव के एक बूढ़े आदमी ने कहाँ की देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने आदत की वजह से तुम पर कोई भरोसा नहीं किया। इसलिए आज तुम्हारे साथ ऐसा हुआ। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और कहाँ की अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।
Moral of the Story
इस कहानी से हमें यह सीख मलती है कि झूठे व्यक्ति की बात पर कोई भी भरोसा नहीं करता है चाहे फिर वह सच ही क्यों ना बोल रहा हो। इसलिए हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपने देखा कि किस तरह से भेड़ चराने वाला चरवाहा के झूठ बोलने की वजह से उसकी सारी भेड़ का शिकार हो गया।
शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में कई सारे छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। और उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। जो रोजाना कई जानवरों को मारकर खा जाता था। इसलिए सभी अन्य जानवर उस शेर से बहुत परेशान थे और हमेशा डरते रहते की कभी उनकी मौत हो सकती है। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा आयोजित किया और शेर के साथ यह प्रस्ताव रखा की उनमें से हर दिन एक जानवर उसके भोजन के लिए स्वयं आ जाएगा। इससे हम सब निश्चिंत होकर रहेंगे। और आपको भी शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
यह प्रस्ताव शेर को पसंद आया और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।
सभी अपनी बारी आने पर शेर के सामने चले जाते। एक दिन खरगोश की बारी थी। वह शेर के पास जाने लगा, और जाते सोचने लगा की मरना तो है ही क्यों आराम से चरते खाते चलूं। कुछ दूर आगे जाते-जाते उसे कुआं दिखी तो वह कुआं के पास गया और कुएं के अंदर झांक कर देखना लगा। तब उसे कुएं में उसकी परछाई दिखाई दी जिसे देखकर उसे एक बढ़िया तरकीब सूजी। और वह मजे से शेर के पास जाने लगा।
जब तक खरगोश शेर के पास पहुँचा तो बहुत देर हो चुकी थी। इसलिए शेर भूख के मारे क्रोधित था और छोटे से खरगोश को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। उसने कहा की मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है कि अब सभी जानवर को मेरा डर समाप्त हो गया है। परन्तु पहले तुम यह बताओ की तुमने यहाँ आने में इतनी देरी क्यों हुई।
तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।
इतना सुनते ही शेर बोला क्या मेरे इलाके में दूसरा शेर कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है। क्या तुम मुझे उसके पास ले जा सकते हो। खरगोश बोला जी महाराज मैं ले जा सकता हूँ। और खरगोश ने शेर को उसी कुंआ के पास ले गया। और बोला महाराज इसी कुंआ में वह शेर रहता है। शेर ने तुरंत देखा तो उसे कुंए में उसकी ही परछाई दिखी जिसे वह सचमुच का शेर समझ लिया। और जोर से दहाड़ लगाता है, तो कुंए से उसकी आवाज टकराकर वापस आई तो उसे लगा की वह भी दहाड़ रहा है।
फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।
Moral of the Story
हमें मुसीबत के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। और खरगोश की तरह ही अपने आप को बचाने की कोशिश करना चाहिए। आपने देखा की किस तरह से चतुर खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि अपने साथियों की भी शेर से जान बचा ली। दोस्तों धैर्य और सूझ-बूझ से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते है।
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FAQ For Short Story
Q: Short Story क्यों पढ़ना चाहिए?
Ans: हमें सार्ट और नैतिक कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि इससे हमें कम समय में अच्छी बाते सीखने को मिलती हैं, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। और हमें आगे बढ़ने में सहायता करती हैं।
Q: कहानियाँ महत्वपूर्ण क्यों होती है?
Ans: कहानियाँ महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे हमें नई-नई उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारियां सीखने को मिलती है।
Q: कहानी सुनाने वाले की विशेषता क्या होनी चाहिए?
Ans: कहानी सुनाना भी एक कला है। कहानी सुनाने के ढंग से कोई कहानी में जान आ जाती है। और कहानी सुनने वाले श्रोता को दिमाग में छप जाती है। यदि कहानी सुनाने वाले को कहानी ठीक से याद नहीं है तो वह अच्छी से अच्छी कहानी को भी चौपट कर सकता है। याद कर लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कहानी कहने वाला विश्वास के साथ कहानी सुनाता है।
Q: कहानी की भाषा कैसी होनी चाहिए?
Ans: कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए।
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