पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।
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पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित
पर्यावरण शब्द ‘परि‘ + ‘आवरण‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।
Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)
इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-
- प्रदूषण की समस्या
- पर्यावरण प्रदूषण
- पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
- प्रदूषण कारण और निदान
- पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
- पर्यावरण का जीवन में महत्व

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)
पर्यावरण – हमारा जीवन
- पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
- धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
- पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
- किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
- प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
- पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
- वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
- यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
- 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)
“पर्यावरण है जीवन का आधार।
इसके बिना है जीवन बेकार।।”
[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]
प्रस्तावना-
प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।
प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-
प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं
(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।
(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।
(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।
(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।
(5) रासायनिक प्रदूषण– आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।
प्रदूषण की समस्या का समाधान-
आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।
उपसंहार –
पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।
“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ।
लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”
पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi
“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा,
तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “
[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण , (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]
प्रस्तावना –
ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –
- ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
- जल प्रदूषण (Water Pollution)
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।
पर्यावरण प्रदूषण –
“साँस लेना भी अब मुश्कुल हो गया है,
पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”
मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “
कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।
प्रदूषण का घातक प्रभाव –
आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।
पर्यावरण संरक्षण –
दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।
उपसंहार –
पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।

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FAQ Environmental
पर्यावरण के प्रकार
1. भौतिक पर्यावरण या प्राकृतिक पर्यावरण
2. जैविक पर्यावरण
3. मनो-सामाजिक पर्यावरण
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? इसके लिए हमारी इस पोस्ट को देखें।
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