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Alankar in Hindi | अलंकार किसे कहते हैं? [परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित]

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यदि आपको अलंकारों के बारे में विस्तार से जानना जानकारी चाहिए तो यहाँ पर अलंकार किसे कहते हैं? अलंकार की परिभाषा , अलंकार कितने प्रकार के होते हैं, उनके नाम व उदाहरण सहित पूरी जानकारी दी गई है जिसे पढ़ने के बाद आपको कोई दूसरी पोस्ट पढ़ने की जरूरत नही पड़ेगी। अलंकार के बारे में प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूंछा जाता है इसलिए यह पोस्ट Alankar in Hindi जरूर पूरा जरूर पढ़ें।

Alankar in Hindi | अलंकार किसे कहते हैं? [परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित]
Alankar in Hindi | अलंकार किसे कहते हैं? [परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित]

Table of Contents

अलंकार किसे कहते हैं? Alankar kise kahate hain?

काव्य की शोभा में वृद्धि करने वाले साधनों को अलंकार कहते हैं। अलंकार से काव्य में रोचकता, चमत्कार और सुन्दरता उत्पन्न होती है। जिस प्रकार से एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए शरीर पर आभूषण धारण करती हैं  ठीक उसी प्रकार से भाषा को सुन्दरता लाने के लिए अलंकारों  का इस्तेमाल किया जाता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अलंकार को ‘काव्य की आत्मा’ माना है।

अलंकार की परिभाषा – Alankar ki Paribhasha

“काव्य शोभाकरान्त् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते” – आचार्य दण्डी

अर्थात् काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं।

अलंकार कितने प्रकार के होते है? Alankar kitne prakar ke hote hai?

अलंकार को मुख्य रूप से तीन भागो में विभाजित किया गया है –

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार

शब्दालंकार किसे कहते हैं?

जहाँ शब्दों के कारण काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ पर शब्दालंकार होता है। अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो तब वहाँ पर शब्दालंकार होता है। जैसे –

देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह।
बहुरि न देही पाइये, अबकी देह सुदेह।।

अर्थालंकार किसे कहते हैं?

अर्थालंकार की परिभाषा

जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहाँ पर अर्थालंकार होता है । ये अलंकार शब्द-विशेष पर निर्भर न होकर अर्थ पर निर्भर रहते हैं, अर्थात् कविता में प्रयुक्त किसी शब्द को बदलकर उसका पर्यायवाची शब्द रख देने पर भी अलंकार बना रहता है।

जैसे : उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, व्यतिरेक, संदेह, भ्रांतिमान आदि ।

उभयालंकार किसे कहते हैं?

जिस अलंकार में शब्द और अर्थ दोनों का चमत्कार देखने को मिलता है वहाँ पर उभयालंकार होता है।

शब्दालंकार के प्रकार

शब्दालंकार 6 प्रकार के होते हैं।

  1. अनुप्रास अलंकार
  2. यमक अलंकार
  3. पुनरुक्ति अलंकार
  4. विप्सा अलंकार
  5. वक्रोक्ति अलंकार
  6. श्लेष अलंकार

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?

अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – अनु + प्रास।  यहाँ पर अनु का अर्थ है- बार-बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण। इसका मतलब है जब काव्य में किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने से जो चमत्कार होता है वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

उदाहरण :-

जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप ।
विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप ।

अनुप्रास के उपभेद

  • छेकानुप्रास
  • वृतानुप्रास
  • लाटानुप्रास
  • अत्नयानुप्रास
  • श्रुत्यानुप्रास

छेकानुप्रास अलंकार– जिस जगह पर स्वरूप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृत्ति एक बार हो वहां पर छेकानुप्रास अलंकार होता है। जैसे-

रीझि  रीझि रस्सी रस्सी हंसी हंसी उठे
सासे भरी आंसू भरी कहत दही दही

वृतानुप्रास अलंकार– जब किसी व्यंजन की आवृत्ति बार-बार हो तो वहां पर वृतानुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण देखिए:

चामर सी, चंदन सी, चांद सी, चांदनी चमेली चारुचंद्र सुघर है।

लाटानुप्रास अलंकार– जिस जगह पर शब्द और वाक्य की आवृत्ति हो और प्रत्येक जगह पर अर्थ भी वहीं पर अनवय करने पर भीनता आ जाए तो उस जगह लाटानुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण:

तेग बहादुर , हां , वे ही थे गुरु पदवी के पात्र समर्थ ,
तेग बहादुर , हां , वे ही थे गुरु पदवी थी जिनके अर्थ

अत्नयानुप्रास अलंकार– जिस जगह अंत में तुक मिलती हो वहां पर अनंतयानुप्रास अलंकार होता है। जैसे:

लगा दी किसने आकर आग।
कहां था तू संशय के नाग?

श्रुत्यानुप्रास अलंकार– जिस जगह पर कानों को मधुर लगने वाले वर्णों का आवृत्ति हो उस जगह श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है। जैसे:

दिनांक था , थे दीनानाथ डूबते ,
सधेनु आते गृह ग्वाल बाल थे।

यमक अलंकार किसे कहते हैं?

यमक शब्द का अर्थ होता है – दो, जब किसी शब्द को दो या दो से अधिक बार प्रयोग में लाया जाए और हर बार उसका अर्थ अलग-अलग हो जाए तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है। जैसे :-

कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर, वा पाये बौराये।

यहाँ पर एक कनक का अर्थ सोना है और दूसरे कनक का अर्थ धतूरा है।

पुनरुक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – पुन: + उक्ति। इसका मतलब जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता है।

जैसे :- मधुर वचन कहि-कहि परितोषी।

विप्सा अलंकार से कहते हैं?

जब दुख, आदर, हर्ष, शोक, आश्चर्य आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए वहां विप्सा अलंकार हो जाता है।

जैसे :-

मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।

वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकाले उसे वक्रोक्ति अलंकार कहा जाता है।

जैसे:

रोको, मत जाने दो ।
रोको मत, जाने दो ।।

वक्रोत्त्कि अलंकार के भी दो भेद होते हैं-

श्लेषमूला – चिपका अर्थ

जहाँ पर अन्य अर्थ का आधार कोई श्लिष्ट पद हो, वहाँ श्लेषमूला होता है। जैसे-

को तुम हौ? इत आए कहाँ, घनश्याम हो तौ कितहूं बरासौ।
चितचोर कहावत है हम तो, जाहुं जहाँ धन है सरसौ।

काकुमूला – ध्वनि-विकार

जहाँ शब्दों या वर्णों पर कुछ जोर देकर अर्थ में / तात्पर्य में अंतर किया जाय, उसे काकु वक्रोत्ति कहते है। जैसे-

जाओ मत, बैठो।
जाओ, मत बैठो।

श्लेष अलंकार किसे कहते हैं?

जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये पर उसके अर्थ अलग-अलग आए। वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।

जैसे :-

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।

अर्थालंकार के प्रकार

  • उपमा अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • संदेह अलंकार
  • अतिश्योक्ति अलंकार
  • भ्रांतिमान अलंकार
  • अपहृति अलंकार
  • व्यतिरेक अलंकार
  • विभावना अलंकार
  • विशेषोक्ति अलंकार
  • अन्योक्ति अलंकार
  • द्रष्टान्त अलंकार
  • उपमेयोपमा अलंकार
  • प्रतीप अलंकार
  • अनन्वय अलंकार
  • दीपक अलंकार
  • अर्थान्तरन्यास अलंकार
  • उल्लेख अलंकार
  • विरोधाभाष अलंकार
  • असंगति अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार
  • काव्यलिंग अलंकार
  • स्वभावोती अलंकार

उपमा अलंकार किसे कहते हैं?

उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी अन्य यक्ति या वस्तु से की जाती है, तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।

जैसे :-

सागर-सा गंभीर ह्रदय हो,
गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन।

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार के 4 अंग होते हैं।

  • उपमेय
  • उपमान
  • वाचक शब्द
  • साधारण धर्म

1. उपमेय किसे कहते हैं – उपमेय का अर्थ होता है – उपमा देने के योग्य। जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाती है वह उपमेय होता है।

2. उपमान किसे कहते हैं – उपमेय की उपमा जिससे दी जाती है उसे उपमान कहते हैं।

3. वाचक शब्द क्या होता है – जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाने के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।

4. साधारण धर्म क्या होता है – दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की मदद ली जाती है, जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।

रूपक अलंकार किसे कहते हैं?

जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है। अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।

उदहारण देखिए:-

“उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।”

रूपक अलंकार में ये बातें होती हैं :-

  • उपमेय को उपमान का रूप देना।
  • वाचक शब्द का लोप होना।
  • उपमेय का भी साथ में वर्णन होना।

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं?

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदहारण :-

सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।

संदेह अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा – जहाँ रूप,रंग और गुण की समानता के कारण किसी वस्तु को देखकर यह निश्चय न हो कि यह वही वस्तु है, वहाँ सन्देह अलंकार होता है। इसमें अन्त तक संदेह बना रहता है।

संदेह अलंकार के उदाहरण

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।।

भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा – जहाँ प्रस्तुत वस्तु को देखकर किसी विशेष समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाए, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है, जैसे –

उदाहरण- जान स्याम घनस्याम को, नाच उठे वन मोर।

अतिश्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

उदहारण  :-

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।
सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।

व्याजस्तुति अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जिस वर्णन में देखने में तो निन्दा-सी प्रतीत होती है, पर वास्तव में उसके विपरीत स्तुति का तात्पर्य हो उसे व्याजस्तुति अलंकार कहते हैं। यहां पर व्याज का अर्थ है बहाने, और स्तुति का अर्थ प्रशंसा होता है।

उदाहरण देखे-

“जमुना तुम अविवेकिनी, कौन लियौ यह ढंग।
पापिन सौं निज बन्धु कौ, मान करावति भंग।।”

व्याजनिन्दा अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जिस वर्णन में देखने में तो स्तुति प्रतीत हो, पर वास्तव में उसके विपरीत निन्दा का तात्पर्य हो, उसे व्याजनिन्दा अलंकार कहते हैं। उदाहरण देखे-

उदाहरण देखे-

नाक कान बिनु भगिनि तिहारी,
छमा कीन्ह तुम धर्म विचारी।
लाजवन्त तुम सहज सुभाऊ,
निज गुन निज मुख कहसि न काऊ।।

अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जहाँ किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को लक्ष्य में रखकर कोई बात किसी दूसरे के लिए कही जाती है, वहाँ पर अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-

उदाहरण देखे- माली आवत देखकर कलियन करी पुकार
फूले-फूले चुन लिए, कालि हमारी बार।।

विभावना अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जहाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पत्ति का वर्णन किया जाए, वहाँ पर विभावना अलंकार होता है।

उदाहरण-
बिनु पद चलै, सुने बिनु काना,
कर बिनु करम करै विधि नाना।
आनन-रहित सकल रस भोगी,
बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।

व्यतिरेक अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जहाँ उपमेय को उपमान से भी श्रेष्ठ बताया जाये, वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है। जैसे-

उदाहरण-

सिय सुबरन, सुखमाकर, सुखद न थोर,
सीय अंग सखि ! कोमल कनक कठोर।

विशेषोक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

परिभाषा- जहाँ कारण के उपस्थित होने पर भी कारय नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। जैसे-

उदाहरण-

इन नैननि कौ कछु उपजी बड़ी बलाय,
नीर भरे नित प्रति रहें, तऊ न प्यास बुझाय।

यहाँ पर हमने आपको अलंकार किसे कहते हैं? [परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित] आदि के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई है। जिससे अलंकार के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल सके। उम्मीद करता हूँ Alankar in Hindi यह पोस्ट पसंद आई होगी।

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रस किसे कहते हैं? इसके प्रकार परिभाषा और उदाहरण।

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