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आकाशीय बिजली कैसे बनती है | बिजली कैसे गिरती है जाने इसका वैज्ञानिक कारण

दोस्तों जब कभी भी आसमान में बिजली कड़कती है तो हमारा दिल दहल जाता है। ऐसे में आपके मन में बिजली के कड़कने के बारे में कई सवाल आते होंगे। आकाशीय बिजली कैसे बनती है? आसमान से बिजली कैसे गिरती है, कहां ज्यादा गिरती है, कैसे आकाशीय बिजली से बचा जाए? क्योंकि हर इंसान का अपने जीवन में बिजली की गड़गड़ाहट से कभी ना कभी तो सामना होता ही है। और अगर आपके साथ ऐसा नहीं हुआ तो इसका बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि आगे भी आप बचे रहेंगे। इससे बचने के लिए क्या करना सही है और क्या नहीं आज की इस पोस्ट में मैं आपको बताने वाला हूँ।

बिजली कैसे गिरती है जाने इसका वैज्ञानिक कारण
आकाशीय बिजली कैसे बनती है | आसमान से बिजली कैसे गिरती है?

आकाशीय बिजली क्या है?

आसमान से गिरने वाली बिजली, हमारे घरो में आने बिजली के समान ही होती है। लेकिन हमारे घरों में जो बिजली सप्लाई होती है वह 240 वोल्ट होती है और सामान्य रूप हमारे घरो में जो बिजली के उपकरण इस्तेमाल किये जाते है। वो केवल 15 एमपियर ही कंज्यूम करते है। जबकि आकाशीय बिजली में 10 करोड़ वोल्ट होता है और इसमें 10 हजार एमपियर का करंट दौड़ता है। और इसका टेम्प्रेचर 27000 से 30000 डिग्री सेल्सियस का होता है। जिससे आप समझ सकते हैं कि कितना भयानक तापमान है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि इस की टाइमिंग जो बहुत कम होती है, यह मात्र 0.005 सेकेंड के लिए ही स्ट्राइक करती है।

आकाशीय बिजली कैसे बनती है व बिजली कैसे गिरती है?

आपके दिमाग में सवाल आता होगा कि बिजली क्यों कड़कती है। गर्मी में पानी भाप बन के ऊपर चला जाता है और हर 165 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचते ही उसके टेंपरेचर में 1 डिग्री सेल्सियस की कमी आ जाती है। यानी कि जितना ऊपर जाता रहता है उसका ताममान घटता जाता है। और यह वाष्प ऊपर छोटे-छोटे टुकड़ों का रूप ले लेता है। और यहीं पर हवा के कारण आपस में टकराने लगते हैं जिस वजह से घर्षण होता है।

इस घर्षण की वजह से स्टेटिक करंट उत्पन्न होता है, और इसका पॉजिटिव चार्ज बादल के ऊपर साइड चला जाता है। और निगेटिव चार्ज नीचे साइड इकट्ठा हो जाता है यहीं नेगटिव चार्ज पॉजिटिव चार्ज ढूढ़ने लगता है और जमीन पर हवा के चलने की वजह से पेड़-पौधों और ऊँचे स्थानों पर भी पॉजिटिव चार्ज इकट्ठा हो जाता है। जिस कारण जमीन पर मौजूद पॉजिटिव चार्ज बादल के निगेटिव चार्ज को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है जिससे एक भयानक लाइटनिंग स्ट्राइक्स उत्पन्न होती है। जिसे हम बिजली गिरना भी कहते है।

साफ शब्दों में कहें तो नेगेटिव चार्ज वाली बिजली पॉजिटिव चार्ज को ढूंढते हुए जब जमीन पर गिरती है, तो उसे लाइटनिंग स्ट्राइक्स या बिजली गिरना कहते हैं। जो बिजली गिरती है वह 10 करोड़ वोल्ट की होती है जिसमें 10000 एंपियर करंट दौड़ता है। इतना करेंट हमारा शरीर बिल्कुल भी बर्दाश्त नही कर सकता।

आकाशीय बिजली तीन प्रकार की होती है

1. सिंगल बादल लाइटनिंग : इस प्रकार के आकाशीय बिजली में कोई आवाज नही होती इसमें एक ही बादल में पॉजिटिव चार्ज ऊपर तथा निगेटिव चार्ज नीचे इकट्ठा हो जाता है, और आपस में ही सार्ट हो जाते है। जिससे सिर्फ आकाश में थोड़ी लाइटनिंग होती है।

2. बादल टू बादल लाइटनिंग :  इसमें दो अलग-अलग बादल पॉजिटिव बादल निगेटिव बादल से आकर्षित हो कर सार्ट हो जाता है। जिससे काफी तेज चमक के साथ आवाज भी आती है। लेकिन यह भी जमीन पर नही गिरती।

3. जमीन पर गिरने वाली : इसमें बादल से जमीन के बीच इन्ट्रैक्ट होता है। इस लाइटनिंग में निगेटिव चार्ज वाले बादल पॉजिटव चार्ज को ढूढ़ते हुए जमीन पर गिरते है। जिसे बिजली गिरना कहते है। और यह सबसे ज्यादा खतरनाक होती है।

सबसे ज्यादा बिजली किस जगह पर गिरती है।

दोस्तों जब कभी भी बिजली गिरती है तो जल्दी से जल्दी किसी कंडक्टर को ढूंढती है जिसकी वजह से अगर आप मोबाइल फोन पर बात कर रहे हो तो आपका मोबाइल फोन टावर से कनेक्ट होगा जिसकी वजह से बिजली डायरेक्ट आपके ऊपर गिर सकती है। अगर किसी तालाब या नदी वगैरह के पास खड़े होंगे तो भी बिजली तुरंत आपके उपर गिर जाएगी क्योंकि यहां जल्दी बिजली गिरती है। और पेड़ो पर बिजली बहुत जल्दी गिरती है इसके अलावा ऊँचे स्थानों और खाली मैदानों पर भी बिजली बहुत तेजी से गिरती है।

आकाशीय बिजली से बचाव के तरीके

  • बिजली के बचाव के कई तरीके सामने रखे गए जहां पर बेंजामिन फ्रैंकलिन नाम के वैज्ञानिक ने लाइटनिंग रोड का कान्सेप्ट लोगों के सामने रखा जो कॉपर की बनी होती है। और इसे हम अपने घर के ऊपर लगा सकते हैं जिससे तार को कनेक्ट करके डायरेक्ट जमीन पर बिछा देते हैं। क्योंकि जब बिजली कड़कती है तो चाहे कितनी भी तेज बिजली क्यों ना हो जमीन उसे बड़े आराम से ले लेती है बिना किसी नुकसान के और इसी वजह से टेलीफ़ोन टावर वगैरह में यह लाइटनिंग रोड लगाया जाता है ताकि बिजली जमीन के अंदर चली जाए और कुछ भी नुकसान ना हो।
  • अगर आप कही बाहर है और आपके पास कार है तो उसके अंदर बैठ जाए क्योंकि यह बहुत ही बढ़िया कंडक्टर का काम करती बिजली को डायरेक्टली जमीन तक पहुंचा देता है जिससे आप सेफ बच जाएंगे।
  • अगर बिजली कड़क रही हो तो छाता का प्रयोग न करे क्योंकि आप हैंडल पकड़े होते हैं छाता डायरेक्ट आपसे जुड़ा होता है जिसकी वजह से बिजली डायरेक्ट ही आप अटैक करती है।
  • किसी पेड़, टावर या फिर खंभे के नीचे नही खड़े रहना चाहिए क्योंकि ज्यादातर इन्ही चीजि पर ही बिजली गिरती है। साथ ही खाली मैदान में भागना नहीं चाहिए वरना डायरेक्ट उपर गिर सकती है वहीं जमीन पर बैठ जाए जिससे बिजली आप पर गिरने की संभावना कम हो जाएंगी।

निष्कर्ष

इस लिए जब भी मानसून खराब हो या बादल कड़क रहे हो तो आप इन चीजों से दूर ही रहो क्योंकि हर चीज का अपना अलग-अलग खतरा होता है। और हर साल हजारों की संख्या में लोग अपनी जान बिजली कड़कने वजह से गँवा देते हैं। आपको समझ में आ गया होगा कि बिजली कैसे गिरती है और इससे कैसे बचा जाए बाकी आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताना। जय हिंद जय भारत। धन्यवाद!

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Rohit Soni

Rohit Soni

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya पर हम उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके।View Author posts

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3 thoughts on “आकाशीय बिजली कैसे बनती है | बिजली कैसे गिरती है जाने इसका वैज्ञानिक कारण”

  1. जब मौसम खराब हो तो घर से बाहर नही निकलना चाहिए क्योंकि जान है तो जहान है। कुछ लोग कहते हैं कि जब बिजली कड़के तो जमीन पर लेट जाना चाहिए।

    1. हाँ सही कहा आपने अंकित भाई जान है तो जहान है। अपनी सुरक्षा सबसे पहले करना चाहिए।

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