यहाँ पर आप रोहित सोनी द्वारा लिखी गई कुछ रोहित की कविताएं पढ़ेंगे जो कि बहुत ही प्रेरणादायक है! जीवन में आने वाली चुनौतियों और उन्हें पार करने की दृढ़ता को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया है। इसमें कठिनाइयों से न घबराने और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने का जज़्बा साफ झलकता है। आपके विचार और शब्दों का प्रवाह बहुत ही प्रभावशाली है।
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बारिश की बूँदें और उनके सपने (Raindrops and Their Dreams)
Author रोहित सोनी (11-08-2024)
मैं बारिश की बूँदें,
चली सपनों को पूरा करने।
किसान की आँखों में देखी मैंने उम्मीद की चमक,
धरती पर गिरते ही उसके सपनों को साकार करने।
धरती की गोद में,
हरियाली की चादर बुनने,
खेतों को लहलहाते हुए,
उसकी सूनी आँचल को हरा-भरा करने।
नदियों के दिल में उमड़ती इच्छा,
सपनों का बहाव तेज़ करने की,
झरनों की कल-कल में,
सपनों का संगीत भरने की।
तालाबों की गहराइयों में,
छिपे सपनों को जिन्दा करने,
पेड़-पौधों की जड़ों में,
जीवन की नयी लहर भरने।
जीव-जंतुओं के सूखे कंठ,
मेरा इंतजार कर रहे हैं,
उनके सपनों को पानी देने,
मैं उनके पास आ रही हूँ।
प्रेमी-प्रेमिका की आँखों में,
सपनों का संगम देख रही हूँ,
उनकी मीठी बातों में,
मैंने अपना रस घोल दिया है।
प्रियतम के मिलन की प्यास,
मेरे आगमन से बुझती है,
उनके दिलों में उमड़ते प्यार को,
मैंने अपनी ठंडक से सहेजा है।
समुद्र की अनंत लहरों में,
सपनों का विस्तार देखती हूँ,
हर सपने को अपने विशाल हृदय में,
जगह देने चली हूँ।
और अंत में,
बादल का सपना पूरा करने,
मैं फिर से उठूँगी,
आसमान की ओर बढ़ जाऊँगी,
ताकि एक दिन फिर लौट सकूँ,
नए सपनों को पूरा करने।
मैं बारिश की बूँदें,
चली सपनों को पूरा करने।
अभी तो है उनको करके दिखाना
Author: रोहित सोनी (03-01-2022)
अभी तो है उनको करके दिखाना,
जो खड़े बहानो की नाव पर चाहते यही रुक जाना।
हम तो यूं ही आगे बढ़ेंगे,
पर रोकने वाले कितने आगे रहेंगे,
जो कर लिया दृढ़ निश्चय एक बार,
फिर चाहे रूकावटे आएं हजार
हम रहेंगे हमेशा तैयार।
ये चंद दिनो की मौज-मस्ती
हैं क्या मुझे जकड़ सकती।
इनसे तो कहीं बड़े हैं मेरे लक्ष्य और इरादे,
जो याद मुझे दिलाते जिंदगी में है, कुछ कर जाना।
अभी तो है उनको करके दिखाना,
जो खड़े बहानों की नाव पर चाहते यही रुक जाना।
सुंदर पथ हो या कांटो सी राहें
निकल पड़े जिस राह पे
उन्ही से हैं दिल लगाते।
अब कांटे भी शर्मा गए पत्थर भी घबरा गए।
ये सोच रहे कौन है वो,
जिसके खून में है केवल बढ़ने का जूनून।
देख यह सबका हाल मैं हुआ और जवान
घूम रहें मन में यही ख्याल
अभी तो है उनको करके दिखाना,
जो खड़े बहानो की नाव पर चाहते यही रुक जाना।
ठंड मे बिना पानी के कैसे नहाए | Thand me Bina Pani ke Kaise Nahaye
दिनांक:- 11/11/2021 Author Rohit Soni
ठंड मे बिना पानी के कैसे नहाए
मन यही ठंडी में गुनगुनाए
दादा-दादी, मम्मी-पापा, न जाने ठंडी में रोज कैसे नहाए
अंकित तो दस-दस दिन तक ठंडी में न नहाए
देख के सुबह का हाल
मन यही ठंडी में गुनगुनाए
ठंड मे बिना पानी के कैसे नहाए
सूरज दादा भी नरम हैं
चल रही हवाएँ वह भी ठंड हैं
धरती माता ओढ़ कोहरे की चादर
करती सबको तंग हैं
देख मौसम का ये हाल
मन यही ठंडी में गुनगुनाए
ठंड मे बिना पानी के कैसे नहाए
दांत भी किट-किट बोले
हांथ भी कप-कपी से डोले
स्वेटर-जर्सी और टोपी भी पहन लिया
फिर भी सर्दी ने ऐसा प्रहार किया
मन यही ठंडी में गुनगुनाए
ठंड मे बिना पानी के कैसे नहाए
:-रोहित सोनी:-
साधन नही है पर साधना है
दिनांक:- 25/08/2018 Author Rohit Soni
साधन नही है, पर साधना है।
नीद लगी है, पर जागना है।
पॉव थके है, पर भागना है।
संघर्ष से नही हारना है
कुछ है नही पर कुछ करना है।
हूँ मैं कमजोर न किसी का सहारा,
चीर सीना मुसीवतों का मंजिल तक
अकेले ही जाना है ।
साधन नही है, पर साधना है ।।
न देख औरो को बढ़ आगे,
न रूक किसी के रोकने से,
भर हौसलो का तूफान सीने में,
बढ़े चल, टूट कर बिखर जाएगी,
सारी मुसीवते मेरी कोशिशों से,
मैं बैठ नही सकता किस्मत के भरोसे से
क्योकि,
साधन नही है, पर साधना है ।
संघर्ष से नही हारना है ।।
सच को ले गये थानेदार
दिनांक:- 09/12/2016 Author Rohit Soni
सच को ले गये थानेदार । झूठै फिरै, बने सरदार ।।
झूठ को सच में बदलै काले कोट ।
देते इंसानियत को गहरे चोट ।।
घोष खाते सरकारी बाबू ।
देखो भ्रष्टाचार हो गया बेकाबू ।।
अब तो होती है, गरीबों की हार ।
धनी गवाह खरीद लेते हरबार ।।
देखो हर, व्यक्ति कहीं खो गया ।
यो इंसानों को क्या हो गया ।।
सच को ले गये थानेदार । झूठै फिरै, बने सरदार ।।
घर का रखवाला ही घर को खाए ।
दूसरों को क्या कहें?
अब तो खुद पे विश्वास किया न जाए ।।
अपनो को नही अपनो की परबाह ।
अपने ही हो गए दूसरो के गबाह ।।
सच को ले गये थानेदार ।
झूठै फिरै, बने सरदार ।।
आओ दोस्तो ! इस जहाँ को फिर से जगाए ।
इंसानियत के चिराग फिर से जगाए ।।
इस धरती से भ्रष्टाचार हम सब मिटाए ।
इस धरती को अब पुनः स्वर्ग बनाए ।।
जहाँ अपनो को होगी अपनो की परवाह ।
अपने ही नहीं दूसरे भी बनेगे अपने गबाह ।।
सच को ले गये थानेदार । झूठै फिरै, बने सरदार ।।
ठंडी संम्बधी दोहे
दिनांक:- 14/11/2015 Author Rohit Soni
RK रजाई राखिए, बिन रजाई सब सून ।
रजाई बिन न मिले, ठण्डी में सुकून ।।
आग जो कही मिले, बुलाए पास ।
RK कहैं सर्दी में चहियत यही उपाय ।।
काल करै सो आज, आज करै सो अब ।
पल में ठण्डी लग गयी तो, इलाज करेगा कब ।।
रोहित कहै रजाई से बाहर कैसे जाय ।
बाहर जों निकलैय, ठण्डी में ऐसी तैसी होय जाय ।।
नहाने जो मैं चला, नहाय सका न कोय ।
लौट के आपणो रजाई में घुस जोय ।।
सुबह जो नींद खुले दिखे न कोय ।
जिधर भी देखे धुन्धै-धुन्ध होय ।।
रात बड़ी दिन छोट का काम यही रोज का
दिनांक:- 21/08/2014 Author Rohit Soni
रात बड़ी दिन छोट का,
काम यही रोज का।
आलू वंडा हाथ म्,
नमकीन चाट मसाला साथ म्।
पर्स मोबाईल जेब म्,
कम्प्यटर रखा लैब म्।
रात बड़ी दिन छोट का,
काम अधिक वेतन छोट का।
कॉलेज जाई रोज त,
दिन कटी मौज म्।
लड़की आई कार म्,
लड़का फसा जाल म्।
सर बोले कुछ सोच लो
दिल अभी रोक लो,
रात बड़ी दिन छोट का।
दाल रोटी रोज का,
लिस्ट माही नाम दे।
खेल माही भाग ले,
खेल माही जीत के।
मान बचाई कॉलेज के,
जऊन पाई नाई जेब म् ।
रात बङी दिन छोट का,
काम यही रोज का ।।
हमारी कविताएं पढ़ने के लिए आपका दिल से शुक्रिया! हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखी गई यह कविताएं आपको जरूर पसंद आई होगी और आपके जीवन में साकारात्मक प्रभाव डालले तथा कठिनाइयों से न घबराने और अपने लक्ष्य की ओर हमेशा बढ़ने रहने का जज़्बा दिल में जागृत करने में मदद करेगी।
हमारी Website हिन्दी रीड दुनिया पर अपना बहुमूल्य समय बिताने के लिए आप का दिल से धन्यवाद !
जय हिन्द जय भारत
आपकी कविताएं बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक हैं। इसे पढ़ कर मेरे अंदर सोए हुए आत्मविश्वास पुनः जागृत हो गए मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं कोई भी काम कर सकता हूं। ऐसी जोशपूर्ण कविताएं पेश करने के लिए आपका दिल से धन्यवाद।🥰🥰❤️❤️❤️❤️💯💯💯💯💯✅✅✅
हमें बहुत खुशी हुई की मेरी कविताए आपके जीवन में परिवर्तन लाई। आप अपने अंदर अटूट विश्वास बनाए रखे जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी। ❤❤✅✅✅