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रक्षाबंधन कब से और क्यों मनाया जाता है | Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata hai?
रक्षाबंधन जिस दिन का सभी भाइयों और बहनों का बेसव्री से इंतजार होता है। रक्षाबंधन का त्योहार पूरे भारत में हर्षो उल्लास से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि इसी दिन ही रक्षाबंधन का त्योहार क्यो मनाया जाता है? रक्षाबंधन का अर्थ क्या है? रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई? और रक्षाबंधन कब से और क्यों मनाया जाता है? इन सभी सवालों के जवाब आज आप को मिलने वाला है।
सबसे पहले हमारी प्यारी बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ चरण स्पर्स! आपके जीवन में इस रक्षाबंधन के त्योहार पर ख़ुशियों की बरसात हो, आपका भाई रोहित सोनी (हिन्दी रीड दुनिया का एडमिन और ऑथर) धन्यवाद! चलिए जानते हैं रक्षाबंधन का अर्थ क्या है? रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई? इसके बारे में प्राचीन कथाएं क्या है?
रक्षाबंधन का अर्थ क्या है?
रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार है। रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। राखी का वास्तविक अर्थ किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इस दिन बहने भाइयों को सूत की राखी बांधकर उनकी सलामती की दुआ करती हैं, और सभी भाई इसके बदले में अपनी बहन के जीवन की रक्षा का वचन देते हैं। और यह राखी उन्हे इस बात की याद दिलाती है।
रक्षाबंधन का त्योहार न केवल भाई-बहन रिश्ते को स्नेह को बढ़ाता है, बल्कि परिवार के रिश्तों को भी स्नेह में बांधे रखता है, और रिश्तों को मजबूत बनाता है।
रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई? रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है जानें पौराणिक कहानी
रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर कई अलग अलग मान्यताएं व कहनी है। रक्षाबंधन का इतिहास काफी पुराना है कई पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है। चलिए एक-एक के बारे में विस्तार से जानें-
प्राचीन और पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत
ये बहुत समय पहले की बात जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युध्द चल रहा था। दोनो के बीच बराबर की टक्कर चल रही थी। और इसी कारण यह युद्ध लगातार 12 बर्षों तक चलता रहा। लेकिन अंत में असुरो ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। और देव राज इन्द्र के सिंहासन सहित तीनों लोको में को जीत लिया। अब तीनों लोको पर असुरो का राज्य था।
हारे हुए इन्द्र और देवतागण देवताओं के गुरू बृहस्पति के पास गए और उनसे सलाह माँगी अब क्या करें? तब बृहस्पति ने उन्हें मंत्र उच्चारण के साथ उन्हे रक्षा विधान करने के लिए कहा। बृहस्पति ने बताया श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन रक्षा विधान का संस्कार प्रारंभ करो। इस रक्षा विधान के दौरान मंत्र उच्चारण से एक रक्षा पोटली तैयार की और उस रक्षा पोटली (सूती धागे) को कई मंत्रो से मजबूत किया पूजा के पश्चात इस पोटली को देव राज इंद्र की पत्नी सची जिन्हे इन्द्रणी भी कहा जाता है, को दिया।
इन्द्रणी ने इस रक्षा पोटली को देवराज इन्द्र के दाहिने हाथ में बांध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की। और फिर देवराज इन्द्र ने असुरो पर आक्रमण किया और फिर इस रक्षा पोटली की शक्ति से उन्होंने असुरो को हरा दिया। और अपना खोया हुआ राज्य तीनो लोक पुनः वापस प्राप्त कर लिया। यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ। इसके बाद युद्ध में जाने के पहले औरतें अपने पति को और बहने भाई को यह धागा बांधती थीं। तभी से श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षबंधन का विधान शुरु हो गया।
रक्षाबंधन से जुड़ी महाभारत के समय की कहानी (कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी मान्ताएं)
शिशु पाल श्री कृष्ण की चाची का लड़का था जब वह जन्मा था तो वह विकृत था बड़ों से पता चला कि जिसके स्पर्स से यह ठीक होगा उसी के हाथ से इसकी मृत्यु भी होगी। एक दिन श्री कृष्ण अपनी चाची से मिलने आए और जैसे ही शिशु पाल को अपनी गोद में लिया वह बिल्कुल ठीक हो गया। इससे स्रुतदेवी (चाची) बहुत खुश हुई लेकिन इसकी मृत्यु श्री कृष्ण के हाथो होगी यह जानकर काफी दुखी हुई। और प्रार्थना की कि शिशुपान की ग़लतियों को माफ़ कर देना। तब श्री कृष्ण ने शिशुपान के 100 ग़लतियों को माफ़ करने का वचन दिया।
शिशु पाल बड़ा होकर चिरडी नामक राज्य का राजा बना वह बहुत क्रूर था और भगवान श्री कृष्ण का रिस्तेदार भी था। एक बार भरी सभा में जब शिशुपाल ने भगवान श्री कृष्ण का अपमान किया व निंदा की और 100 बार से अधिक किया तो भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र शिशुपाल पर छोड़ दिया। जिसके कारण उनकी उँगली भी कट गई तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी की पल्लू फाड़कर उनकी उँगली में बांध दिया जिससे खून बहना बंद हो गया।
इसका कर्ज उतारने के लिए कृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा करने का वचन दिया। और फिर चीरहरण के समय जब द्रोपदी मुसीबत में थी तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बहन द्रोपदी की रक्षा की थी। तभी से रक्षाबंधन की शुरुआत हुई। और द्वापर युग से बहने भाई को राखी बांधने लगी।
रक्षाबंधन से जुड़ी भविष्य पुराण की कहानी
रक्षाबंधन कब और क्यूँ शुरु हुआ इसका उल्लेख भविष्य पुराण में भी मिलता है। इस कथा के अनुसार दैत्यो के राजा बलि ने 110 यज्ञ पूर्ण कर लिए। जिस कारण देवताओं का डर बढ़ने लगा की कही राजा बलि अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक में भी अधिकार न कर ले। इसलिए सभी देवता अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने वॉवन अवतार लेकर राजा बलि के पास गए और भिक्षा में 3 पग ज़मीन मांगी। राजा बलि ने देने का वचन दे दिया तब भगवान विष्णु ने एक पग में धरती और दूसरे में धरती को लिया और जब राजा बलि ने तीसरा पग बढ़ते देखा तो वह परेशान हो गया।
और समझ नही पा रहा था कि क्या करें फिर राजा बलि ने अपना सिर ब्राम्हन देव के चरणों में रखा और कहा कि आप तीसरा पग आप यहाँ रख दें। और इस प्रकार राजा बलि से स्वर्ग व धरती पर रहने का अधिकार छीन लिया गया। और बलि रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ती से भगवान को अपने साथ हर समय रहने का वरदान मांगा। और भगवान विष्णु को राजा बलि का द्वारपाल बनना पड़ा।
इस कारण देवी लक्ष्मी दुविधा मे पड़ गई वो भगवान विष्णु जी को रसातल से वापस लाना चाहती थी। तब नारद जी ने इसका समाधान बताया, लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बना लिया। और उपहार में उन्होने अपने पति विष्णु जी को मांगा। यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था तभी से ये रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।
राखी बांधने का सही तरीका क्या है?
सबसे पहले भाई और बहन स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनते हैं। इसके बाद किसी पूजा स्थल पर या अच्छी जगह पर बैठकर राखी बांधते हैं। बहने एक थाली में राखी, हल्दी व सूखा चावल टीके के लिए, दीपक, मिठाई, पकवान आदि सजा लेते हैं। फिर अपने घर के ईष्ट देवता की पूजा करते हैं फिर पूरी श्रद्धा और स्नेह से भाई आरती उतारती है और दाहिने हाथ पर राखी बांधती हैं और मिठाइयाँ (पकवान) खिलाती हैं। और भाई की कुशलता के लिए प्रार्थना करती है।
इसके बदले में भाई अपनी बहनों को कुछ उपहार देते हैं और बहन को हर मुसीबत से रक्षा करने का वचन देते हैं। इस तरह यह भाई-बहन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इस दिन दोपहर को खास तरह के पकवान भी बनाये जाते है। रक्षाबंधन का त्योहार जीवन में कई सारी ख़ुशियाँ अपने साथ लाता है।
हमारे देश में राखी का क्या महत्व है? रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व
रक्षाबन्धन में सूत की राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। रक्षाबंधन के दिन बहन भाई को सूत की राखी बांधती हैं और अपने भाई सलामती की कामना करती है। इसके बदले में भाई भी अपनी बहनों को कुछ उपहार देते है और साथ ही उनके जीवन के हर मुसीबत से रक्षा करने का वचन देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
इस त्योहार के दिन भाई-बहन के साथ सभी परिवार एक हो जाते हैं और राखी, उपहार और मिठाई देकर अपना प्यार, स्नेह एक दूसरे के साथ साझा करते हैं।
FAQ
Q. रक्षाबंधन का दूसरा नाम क्या है?
Ans. राखी, सलूनो, श्रावणी
Q. सन 2024 में रक्षाबंधन कब है?
Ans. 2024 का रक्षाबंधन 19 अगस्त सोमवार को है।
Q. रक्षाबंधन कब से शुरू हुआ?
Ans. रक्षाबंधन की शुरुआत पुरातन काल के समय से ही हुई थी।
Q. रक्षाबंधन किन अनुयायी के लोगो का त्योहार है?
Ans. हिंदू धर्म और जैन धर्म का ।
Q. रक्षाबंधन किसका त्यौहार है?
Ans. रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार है।
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