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मौलिक अधिकार क्या है और कितने हैं | Maulik Adhikar Kya Hai

मौलिक अधिकार क्या है और कितने हैं (Maulik Adhikar Kya Hai) मौलिक अधिकार का वर्णन किस अनुच्छेद में है? मौलिक अधिकार का महत्व क्या है? 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं

मौलिक अधिकार क्या है और कितने हैं | Maulik Adhikar Kya Hai

मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन और विकाश के लिये आवश्यक होते हैं। और यह मौलिक अधिकार भारत में संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को प्रदान किये जाते हैं और इनमें किसी राज्य सरकार द्वारा कोई भी हस्तक्षेप नही किया जा सकता है।

हमारे भारत देश में वर्तमान समय में 6 मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) हैं। जो इस प्रकार से हैं

मौलिक अधिकार क्या है और कितने हैं | Maulik Adhikar Kya Hai
मौलिक अधिकार क्या है और कितने हैं | Maulik Adhikar Kya Hai
  1. समानता / समता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक।
  2. स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक।
  3. शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक।
  4. धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक।
  5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक।
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32

नोट:- संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44वें संशोधन द्वारा संविधान के तृतीय भाग से हटा दिया गया था।

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मूल अधिकार एक नजर में जानें

मौलिक अधिकार का वर्णन किस अनुच्छेद में है? आगे इसकी जानकारी दी गई है-

समता का अधिकार

  • अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता)
  • अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध)
  • अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता)
  • अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत)
  • अनुच्छेद 18 (उपाधियों का अंत)

स्वातंत्रय–अधिकार

  • अनुच्छेद 19 (वाक्–स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण)
  • अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
  • अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण)

शोषण के विरूद्ध अधिकार

  • अनुच्छेद 23 (मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रय का प्रतिषेध)
  • अनुच्छेद 24 (कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध)

धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार

  • अनुच्छेद 25 (अंत: करण की और धर्म के अबोध रूप में मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता)
  • अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता)
  • अनुच्छेद 27 (किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करांे के संदाय के बारे में स्वतंत्रता)
  • अनुच्छेद 28 (कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता)

संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

  • अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण)
  • अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करनेका अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार)
  • अनुच्छेद 31 (निरसति)

कुछ विधियों की व्यावृत्ति

  • अनुच्छेद 31क (संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
  • अनुच्छेद 31ख (कुछ अधिनियमों और विनिमयों का विधिमान्यकरण)
  • अनुच्छेद 31ग (कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
  • अनुच्छेद 31घ (निरसित)

सांवैधानिक उपचारों का अधिकार

  • अनुच्छेद 32 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित करने के लिए उपचार)
  • अनुच्छेद 32क (निरसति) ।
  • अनुच्छेद 33 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति)
  • अनुच्छेद 34 (जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का निर्बधन
  • अनुच्छेद 35 (इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान)

मौलिक अधिकार का महत्व क्या है?

हमारा संविधान मौलिक अधिकारों के महत्व को स्वीकार करता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुसार, ये शरीर के सबसे अधिक नागरिक-अनुकूल प्रावधान हैं। उन्हें लोगों की स्वतंत्रता और अधिकारों को उस अधिकार के दुरुपयोग से बचाने के लिए आवश्यक माना गया जो उन्होंने अपनी सरकार को सौंपा था। मौलिक अधिकार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करते हैं।

ये अधिकार उन मूलभूत आदर्शों को समाहित करते हैं जिन्हें नागरिक वैदिक युग से ही प्रिय मानते आए हैं। वे मानवाधिकारों की आवश्यक नींव में एक पूर्वानुमानित पैटर्न बुनते हैं। यह राज्य को उसके सभी रूपों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करने की अनुमति देने के बजाय राज्य पर सकारात्मक जिम्मेदारियाँ डालता है। वे किसी व्यक्ति के लिए उसकी पूर्ण वैचारिक, नैतिक और आध्यात्मिक क्षमता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। ये मौलिक अधिकार सभी लोगों के अधिकारों, व्यक्ति के सम्मान और देश की एकता की रक्षा करते हैं।

निष्कर्ष

मौलिक अधिकारों को संविधान में प्रतिष्ठापित किया गया था क्योंकि उन्हें न्यायिक समीक्षा और प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास और मानवीय गरिमा और सम्मान के संरक्षण का प्रावधान माना गया था। डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा लिखे गए संविधान में 6 मौलिक अधिकार बताए गए हैं। जो भारत देश के नागरिगों के पूर्ण विकाश और जीवन यापन के लिए अत्यंत जरूरी है।

FAQ: Fundamental Rights (मौलिक अधिकार)

Q: मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के किस भाग में निहित है?

Ans: भाग 3

Q: संपत्ति का अधिकार को मौलिक अधिकार से कब हटाया गया?

Ans: संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44वें संशोधन द्वारा संविधान के तृतीय भाग से हटा दिया गया था

Q: हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा कौन करता है?

Ans: न्यायपालिका

Q: मौलिक अधिकार चार्ट

Ans: मौलिक अधिकार का चार्ट
समानता / समता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक।
स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक।
शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक।
धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक।
सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32

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